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मुम्बई - मेरी पहली यात्रा
मुम्बई - मेरी पहली यात्रा
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एक बार मुम्बई देखने का हर किसी का सपना होता है, मेरा भी सपना था और साथ में मेरी माँ का भी । ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के पश्चात् हम सुबह मनमाड पहुंचे और राज्य रानी एक्सप्रेस पकड़कर मुम्बई सीएसटी ।
पहली बार मुम्बई देखने की एक अलग ही ख़ुशी थी आज मेरे मन में और इससे भी ज्यादा ख़ुशी थी अपनी माँ को मुम्बई दिखाने की। यूँ तो मैंने अपनी माँ को दिल्ली, कलकत्ता और चेन्नई तीनो महानगर दिखा रखे हैं पर हर किसी के दिल में बचपन से ही जिस शहर को देखने का सपना होता है वो है मुम्बई । सीएसटी स्टेशन पर पहले मैंने और माँ ने भोजन किया और उसके बाद हम सीएसटी के बाहर निकले ।
अंग्रेजों के समय में बना यह स्टेशन आज भी कितना खूबसूरत लगता है इसीलिए ये विश्व विरासत सूचि में दर्ज है। यहाँ हमने दोमंजिला बस भी पहली बार ही देखी थी। इसी बस द्वारा हम गेट वे ऑफ़ इंडिया पहुंचे। समुद्र तट पर स्थित यह ईमारत भी मुझे ताजमहल से कम नहीं लगी और साथ ही ताज होटल जिसे हम बचपन से टीवी अख़बारों में देखते आ रहे थे आज आँखों के सामने था ।