UPADHYAY TRIPS PRESENT'S
साधना की शादी में - आयराखेड़ा यात्रा
FEB 2010,
आज दस तारीख थी और आज मेरी प्रिय ममेरी बहिन साधना की शादी है। मैं साधना को प्यार से बहना कहकर बुलाता हूँ, मुझे अच्छा लगता है और साधना को भी। हालाँकि उसकी शादी आगरा में ही हो रही है और शाम को बारात भी आगरा से ही आयराखेड़ा जायेगी परन्तु मुझे बारात से पहले ही वहां पहुँचना होगा। इसलिए मैं बिना देर किये मंगला एक्सप्रेस से मथुरा पहुंचा। यहाँ कासगंज से मथुरा वाला रेलखंड अभी हाल ही में मीटरगेज से ब्रॉडगेज में बदला गया है इसलिए यहाँ नई गाड़ियों का उदघाटन हो रहा था। पहली थी मथुरा से छपरा तक जाने वाली एक्सप्रेस गाड़ी और दूसरी कासगंज से मथुरा पैसेंजर।
मैं इस फूलमाला से लदी नई ट्रेंन से राया पहुँचा और फिर वहाँ से आयरा खेड़ा पहुँचा। जैसा कि अपनी पिछली पोस्ट में बता चुका हूँ कि आयराखेड़ा मेरी माँ का गॉव है और मेरी ननिहाल है। मैं जब यहाँ पहुँचा तो साधना मुझे देखकर बहुत खुश हुई। आज बारात आनी थी इसलिए उसकी तैयारी भी करना जरूरी थी। मैं साधना के बड़े भाई धर्मेंद्र शर्मा जिन्हें मैं हमेशा अपने सगे बड़े भाई के रूप में ही मानता आया हूँ उनके साथ बाइक से मुरसान की तरफ निकल गये और कुछ सामान लेकर वापस आये। रास्ते में मैं सोचता आ रहा था कि जिंदगी में कभी कभी ही ऐसे मौके आते हैं जब हम एक साथ होते हैं और साथ घूमते हैं। इसवक्त ना किसी नौकरी की कोई टेंशन होती है और नाही किसी दूसरी बात की कोई फ़िक्र।
मैं जब भी आयराखेड़ा जाता हूँ अपनी सारी टेंशनों को भूलकर दिल से यहाँ भरपूर एंजॉय लेता हूँ। यहाँ रहने वाला हर शख़्स मुझे बहुत मानता है और मेरी इज़्ज़त भी करते हैं। मैं इन लोगों के साथ अपनी जिंदगी के हर सुखदुख को शेयर करता हूँ। आज तो मेरी प्रिय बहिन की शादी है मुझे इस बात का इतना दुःख नहीं था कि वो आज हमेशा के लिए आयराखेड़ा से अपने घर जाने वाली थी बल्कि ख़ुशी इस बात की थी कि आज वो मेरे शहर आगरा में जा रही थी यानी कि मेरे पास ही आने वाली थी। शाम को बारात आ गई, नोहरे की गली में ही बफर सिस्टम का प्रोग्राम था। बारात ने नाश्ता और दावत खाने के बाद इस गॉव से आगरा के लिए विदाई ली और बाकी लड़के वालों के कुछ गिने चुने सदस्य ही यहाँ रह गए।
मेरी प्रिय मीरा मौसी भी यहाँ शादी में अपने पति के साथ आई हुई थी। गोपाल, जीतू और धर्मेंद्र भैया यही तो सब मेरे बचपन के साथी थे। इनमें गोपाल और मुझे छोड़कर सभी की शादी हो चुकी है और यह अब अपनी बचपन की जिंदगी को भूलकर अपने परिवार के लिए जी रहे हैं यही तो जिंदगी है जिसमे भूतकाल के लिए कोई जगह नहीं होती। सिर्फ आगे बढ़ने का ही नाम जिंदगी है। साधना भी अब बचपन की यादों को दिल में लेकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रही है। मैं ईश्वर से कामना करता रहा कि मेरी बहिन को उसके यहाँ वो सारी खुशियाँ मिलें जो उसे नहीं मिल पाईं थीं और फिर वो जहाँ जा रही है वहां हर पल उसके साथ मैं रहूँगा ही।
बाद रेलवे स्टेशन |
मथुरा जंक्शन पर एक केबिन |
मथुरा छपरा एक्सप्रेस का उदघाटन |
नई मथुरा कासगंज पैसेंजर |
धर्मेंद्र भैया सोनाई रेलवे स्टेशन पर |
सोनई |
अनिल उपाध्याय और धर्मेंद्र भैया |
साधना - शादी से पहले |
भात पहनाते ब्रजेश मामा |
शादी में वीके |
शादी वाली रात साधना |
अपने पुत्र सनी के साथ भाई |
शादी की हार्दिक शुभकामनायें |
बफर सिस्टम |
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