Tuesday, January 13, 2009

पंचवटी की ओर



पंचवटी की ओर 

    शिरडी से सुबह महाराष्ट्र रोडवेज की बस पकड़कर हम नासिक की तरफ रवाना हो गए, नासिक में पंचवटी नामक तीर्थस्थान है जहाँ भगवान राम, सीता और लक्ष्मण सहित वनवास के दौरान रहा करते थे और यहीं से लंकापति रावण ने सीता माता का हरण किया था। नासिक पहुंचकर हम सबसे पहले गोदावरी के घाट पर पहुंचे यहाँ कुछ दिनों पहले ही कुम्भ का मेला लगा था और अब उस मेले के शेष अवशेष बचे हैं अर्थात ख़त्म हो चूका है।

   गोदावरीनदी  में स्नान करके हम पंचवटी पहुंचे, पांच बड़े वट के पेड़ के नीचे एक गुफा है जिसे सीता जी की रसोई कहा जाता है, माना जाता है कि भगवान श्री राम ने अपनी कुटिया यहीं इसी स्थान पर बनाई थी और यह स्थान आज के धरातल से काफी नीचे समां चुका है क्योंकि त्रेतायुग को बीते हुए भी लाखों वर्ष हो चुके है।

Monday, January 12, 2009

पहली शिरडी यात्रा





पहली शिरडी यात्रा

     घूमने का शौक तो लगा रहता है बस मंजिल तलाशनी पड़ती है । आजकल एक गाना बहुत सुनने को मिल रहा है "शिरडी वाले साईं बाबा आया है तेरे दर पे सवाली "। बस फिर क्या था मन ने ठान लिया इसबार साईबाबा से मिलकर आना है। 2782 स्वर्णजयंती एक्सप्रेस में रिजर्वेशन करवाया कोपरगाँव तक और चल दिए साईबाबा से मिलने। साथ मैं हम कुल आठ लोग थे किशोरीलालजी,रश्मि,माँ-पापा, मैं, साधना, कुसमा मौसी, बड़ी मामी। ट्रेन ने हमें सुबह चार बजे कोपरगाँव स्टेशन पर पहुँचा दिया, यहाँ हमारी तरह और भी लोग साईबाबा के दर्शन हेतु आये हुए थे ।

Friday, February 29, 2008

ओरछा दर्शन



ओरछा दर्शन 

       मैं और माँ रात को तमिलनाडु एक्सप्रेस से सुबह तक झाँसी पहुँच गए, यहाँ हमारे एक जानकार बाबू रहते हैं जो किसी समय रेलवे में ड्राईवर थे आज रिटायर हो चुके हैं। आज उनकी स्वर्गवासी दादी का काज्य था, हम उसी मैं शामिल होने गए थे, शाम को दावत खाकर हम रात को झाँसी में ही रूक गए पर इस बीच मैं अकेला जाकर झाँसी का किला देख आया। सुबह हम यहाँ से एक ऑटो द्वारा ओरछा पहुँच गए, यह बेतबा नदी के किनारे एक हिन्दू तीर्थस्थान है जहाँ भगवान श्री राम का रामलला के नाम से विख्यात मंदिर है। 

Thursday, March 7, 2002

AIRAKHERA : 2002

    UPADHYAY TRIPS PRESENT'S

आयराखेड़ा ग्राम की एक बारात

MAR 2002,

     काफी पुरानी बात है जब मैं हाई स्कूल में था और मेरी बोर्ड के एग्जाम नजदीक थे। मेरा आज साइंस का प्रेक्टिकल था। लैब में मुझसे एक वीकर और एक केमिकल की बोतल फूट गई जिस कारण सर ने मुझे तोड़ दिया। सजा पाकर थका हारा जब मैं घर पहुंचा तो माँ ने याद दिलाया कि आज मेरी दूर की मौसी की शादी है इसलिए मुझे आयराखेड़ा जाना पड़ेगा मैंने घडी में देखा तो दोपहर के डेढ़ बजे थे यानी आगरा कैंट से मथुरा के किये कोई ट्रेन नहीं थी ।

    आयरा खेड़ा मेरी माँ का गाँव है जो मथुरा कासगंज रेल मार्ग पर स्थित राया स्टेशन से पांच किलोमीटर दूर है। आयराखेड़ा गाँव का नाम सरकारी कागजों में बिन्दुबुलाकी है, अतः गूगल मैप में भी इसे बिन्दुबुलाकी के नाम से ही खोजा जा सकता है। मुझे याद आया कि आगरा फोर्ट से मथुरा के लिये एक ट्रेन है जिसका नाम है गोकुल एक्सप्रेस ।